विकट संकष्टी चतुर्थी: महत्व, व्रत कथा और पूजा विधि

भूमिका

हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को यह व्रत किया जाता है। विशेष रूप से, जब यह चतुर्थी मंगलवार के दिन पड़ती है, तो इसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण संकष्टी चतुर्थी है विकट संकष्टी चतुर्थी

विकट संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित होती है। इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी कष्टों का नाश होता है और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत संकटों से मुक्ति दिलाने वाला और जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है।


विकट संकष्टी चतुर्थी का महत्व

विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी है जो अपने जीवन में कठिनाइयों से गुजर रहे हैं।

  • यह व्रत करने से संकटों का नाश होता ह
  • मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं
  • परिवार में सुख-शांति बनी रहती है
  • आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है
  • जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है
  • यह व्रत संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी किया जाता है

विकट संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय की बात है, जब एक राजा को कोई संतान नहीं थी। उन्होंने अनेक उपाय किए, लेकिन उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हुई। तब ऋषियों ने उन्हें विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने का सुझाव दिया। राजा और उनकी रानी ने विधिपूर्वक यह व्रत किया और भगवान गणेश की आराधना की।

कुछ समय बाद, उन्हें एक सुंदर और तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई। इस कथा से यह सिद्ध होता है कि विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से संतान प्राप्ति, परिवार की सुख-समृद्धि और संकटों से मुक्ति मिलती है।


व्रत विधि

  1. व्रत का संकल्प
    • प्रातः काल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें
    • भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ
    • व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन सात्त्विक आहार ग्रहण करें
  2. पूजा सामग्री
    • गणेश प्रतिमा या चित्र
    • लाल फूल, अक्षत, दूर्वा
    • मोदक या लड्डू
    • धूप, दीपक और कर्पूर
    • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)
  3. पूजा विधि
    • संध्याकाल में भगवान गणेश की पूजा करें
    • गणपति बप्पा को पंचामृत से स्नान कराएँ
    • दूर्वा, लाल फूल और मोदक अर्पित करें
    • धूप-दीप जलाकर भगवान गणेश की आरती करें
    • गणपति अथर्वशीर्ष, गणेश चालीसा और मंत्रों का जाप करें
  4. चंद्रमा को अर्घ्य
    • चतुर्थी व्रत में चंद्र दर्शन और चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है
    • चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत का पारण करें
  5. व्रत का पारण
    • व्रत समाप्त करने के बाद सात्त्विक भोजन ग्रहण करें
    • ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें और जरूरतमंदों की सहायता करें

विकट संकष्टी चतुर्थी के लाभ

  1. पापों से मुक्ति – यह व्रत सभी प्रकार के पापों का नाश करता है
  2. आर्थिक उन्नति – धन, वैभव और समृद्धि की प्राप्ति होती है
  3. संतान प्राप्ति – संतान सुख की प्राप्ति के लिए यह व्रत विशेष रूप से लाभकारी है
  4. स्वास्थ्य लाभ – इस व्रत के प्रभाव से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है
  5. संकटों का नाश – जीवन में आने वाली बाधाएँ और कष्ट दूर होते हैं

ज्योतिषीय महत्व

विकट संकष्टी चतुर्थी का ज्योतिषीय महत्व भी बहुत अधिक है।

  • इस दिन गणेश ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने का आशीर्वाद देते हैं
  • विशेष रूप से मंगल और राहु-केतु दोष से मुक्ति के लिए यह व्रत अत्यंत शुभ होता है
  • इस दिन गणपति की पूजा करने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है

इस दिन किए जाने वाले शुभ कार्य

  • भगवान गणेश की पूजा करना
  • चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करना और अर्घ्य देना
  • ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान-दक्षिणा देना
  • जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना
  • संतान सुख की प्राप्ति के लिए भगवान गणेश की विशेष आराधना करना

निष्कर्ष

विकट संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो जीवन में सुख-समृद्धि, सफलता और संकटों से मुक्ति दिलाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और अपने जीवन में शांति, सौभाग्य और समृद्धि चाहते हैं।

भगवान गणेश की कृपा से सभी भक्तों को इस व्रत का पुण्य लाभ प्राप्त हो और उनके जीवन में समस्त संकटों का नाश हो।

गणपति बप्पा मोरया!

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