क्यों है 1 जुलाई 2025 की षष्ठी तिथि भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्ति का विशेष अवसर?

षष्ठी व्रत – 01 जुलाई 2025 (मंगलवार)

🌕 प्रस्तावना

1 जुलाई 2025 को आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है, जिसे शास्त्रों में अत्यंत शुभ माना गया है। यह दिन भगवान कार्तिकेय को समर्पित स्कंद षष्ठी व्रत के रूप में मनाया जाता है। विशेष रूप से दक्षिण भारत और कुछ पूर्वी राज्यों में यह व्रत बड़ी श्रद्धा और भक्ति से किया जाता है। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ज्योतिष, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी अत्यंत फलदायक माना गया है।



🔱 स्कंद षष्ठी का पौराणिक महत्व


भगवान कार्तिकेय, जिन्हें स्कंद, मुरुगन, कुमारस्वामी, और सुब्रह्मण्य के नाम से जाना जाता है, भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं। स्कंद षष्ठी का व्रत इस बात की स्मृति है कि कैसे उन्होंने देवताओं की सेना का नेतृत्व करते हुए दानव तारकासुर का वध किया था। यह व्रत बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

पौराणिक कथा:

तारकासुर नामक राक्षस ने कठोर तपस्या कर ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था कि केवल शिव का पुत्र ही उसका वध कर सकता है। शिवजी तप में लीन थे और विवाह से विमुख थे। देवी पार्वती ने कठिन तपस्या कर शिव से विवाह किया और कार्तिकेय का जन्म हुआ। बाल्यकाल से ही कार्तिकेय अत्यंत शक्तिशाली और तेजस्वी थे। उन्होंने मात्र छह दिनों में दानव तारकासुर का संहार किया। इसी कारण षष्ठी तिथि को यह व्रत किया जाता है।



🧘‍♀️ व्रत और पूजा विधि

सुबह की तैयारी:

* प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें।
* घर एवं पूजा स्थल को शुद्ध करें।
* भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

पूजन सामग्री:

* पंचामृत, मोर पंख, लाल पुष्प, धूप, दीप, फल, मिष्ठान्न, कपूर, रोली, अक्षत, नारियल।

पूजन विधि:


1. दीप प्रज्वलन करें और “”ॐ स्कंदाय नमः”” मंत्र से ध्यान करें।
2. भगवान को पंचामृत से स्नान कराएँ।
3. मोर पंख अर्पण करें जो कार्तिकेय का वाहन है।
4. प्रसाद में फल, मिश्री, बताशे रखें।
5. कथा वाचन करें (स्कंद षष्ठी की कथा)।
6. आरती करें – “”जय देव जय देव जय कार्तिकेय…””

व्रत नियम:

* इस दिन उपवास या फलाहार करें।
* रात्रि को एक बार फल या दूध ले सकते हैं।
* क्रोध, निंदा, झूठ से बचें।



🌌 ज्योतिषीय महत्व

षष्ठी तिथि चंद्रमा के प्रभाव में होती है और यह मन एवं भावनाओं से जुड़ी होती है। 2025 में यह तिथि मंगल के प्रभाव से युक्त है, जो कि कार्तिकेय से संबंधित ग्रह है। ऐसे में यह व्रत करने से आत्मबल, साहस, और निर्णय क्षमता में वृद्धि होती है।

ग्रह स्थिति:


* चंद्रमा : सिंह राशि में उच्च का होगा
* मंगल : सिंह में 

यह योग विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ होगा जिनकी कुंडली में चंद्र, मंगल, या षष्ठ भाव कमजोर है। यह व्रत इन दोषों को शांत करता है।



🧠 स्वास्थ्य और मानसिक लाभ

* व्रत से पाचन तंत्र को विश्राम मिलता है।
* मानसिक रूप से शांति और संतुलन की प्राप्ति होती है।
* ध्यान और मंत्र जाप से मानसिक विकार कम होते हैं।
* आयुर्वेद अनुसार, मोर पंख और मोर चित्र भी वातावरण को रोगमुक्त बनाते हैं।



📿 आध्यात्मिक दृष्टिकोण


* कार्तिकेय को ध्यान और ब्रह्मचर्य का प्रतीक माना जाता है।
* स्कंद षष्ठी आत्म-संयम, साहस और शुद्धता का उत्सव है।
* साधकों को इस दिन ध्यान, मौन और आत्म-चिंतन करना चाहिए।
* गुरु उपदेशों का स्मरण और निष्ठा इस दिन विशेष लाभकारी होती है।



🌱 दान-पुण्य का महत्व

व्रत के समापन पर जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, छाता, मोर पंख, और पुस्तकें दान करें। इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। गौ-सेवा, वृक्षारोपण और जल वितरण जैसे कार्य विशेष पुण्यकारी माने जाते हैं।



📜 निष्कर्ष


षष्ठी व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह आत्मिक जागृति, सामाजिक जिम्मेदारी और प्राकृतिक संतुलन की ओर एक प्रेरणादायी कदम है। 01 जुलाई 2025 को आने वाली यह तिथि उन सभी के लिए एक सुंदर अवसर है जो अपने जीवन में संयम, साहस और आध्यात्मिक ऊर्जा को जाग्रत करना चाहते हैं।

“”शिवपुत्र स्कंद की कृपा से जीवन में जय, तेज और विवेक का उदय हो।””



🙏 **शुभ षष्ठी व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं!**🙏

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