दुर्गा अष्टमी पूजा: क्या करें और क्या न करें

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परिचय

दुर्गा अष्टमी, नवरात्रि के आठवें दिन मनाई जाती है और यह हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन देवी दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा की जाती है। दुर्गा अष्टमी का पर्व भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह दिन शक्ति और नारीत्व का प्रतीक है। इस दिन की पूजा विधि और अनुष्ठान भक्तों के लिए अत्यधिक फलदायी माने जाते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि दुर्गा अष्टमी के दिन क्या करें और क्या न करें।

दुर्गा अष्टमी का महत्व

दुर्गा अष्टमी का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टि से है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन देवी दुर्गा की पूजा से भक्तों को शक्ति, साहस और समृद्धि की प्राप्ति होती है। अष्टमी को ही माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, जो बुराई और अन्याय का प्रतीक था। इस दिन माँ दुर्गा के प्रति भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए भक्त विशेष अनुष्ठान करते हैं।

दुर्गा अष्टमी के दिन क्या करें

1. स्नान और शुद्धता

दुर्गा अष्टमी के दिन पूजा से पहले स्नान करना बहुत आवश्यक है। स्नान करने से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें, जिससे पूजा का वातावरण पवित्र बन सके। 

2. पूजा स्थान की तैयारी

पूजा के लिए एक स्वच्छ और पवित्र स्थान का चयन करें। वहां देवी दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर रखें। पूजा स्थान को फूलों और दीपों से सजाएं।

3. फूल और भोग अर्पित करें

माँ दुर्गा को फूल, खासकर लाल या सफेद फूल अर्पित करें। इसके अलावा, उन्हें मीठे चावल, फल, या अन्य भोग भी अर्पित करें। 

4. मंत्र जाप

दुर्गा अष्टमी के दिन निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:

– दुर्गा सप्तशती: “ॐ दुं दुर्गायै नमः”

– कात्यायनी मंत्र: “ॐ कात्यायन्यै नमः”

इन मंत्रों का जाप करने से माता की कृपा प्राप्त होती है और भक्त को मानसिक शांति मिलती है।

5. कन्या पूजन

दुर्गा अष्टमी का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान कन्या पूजन है। इस दिन नौ कन्याओं (या आठ) का पूजन किया जाता है। उन्हें भोजन कराएं और उन्हें उपहार दें। कन्याओं का पूजन करने से माँ दुर्गा की विशेष कृपा मिलती है।

6. आवश्यक सामग्रियों की व्यवस्था

दुर्गा अष्टमी पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्रियों की व्यवस्था करें:

– दीपक (बत्ती)

– फूल (लाल या सफेद)

– फल (केला, सेब, नारियल)

– मिठाई (लड्डू, peda)

– चावल और दाल

– हवन सामग्री (अगर हवन कर रहे हों)

7. आरती और स्तुति

पूजा के अंत में देवी की आरती करें। आरती करते समय श्रद्धा से ध्यान लगाएं और मन से प्रार्थना करें। इसके बाद भक्तों को प्रसाद वितरित करें।

8. दान-पुण्य करें

इस दिन दान करना भी बहुत शुभ होता है। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या पैसे दान करें। इससे माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और पुण्य का संचय होता है।

दुर्गा अष्टमी के दिन क्या न करें

1. अशुद्धता

दुर्गा अष्टमी के दिन अशुद्धता से बचें। पूजा के दौरान ध्यान रखें कि कोई भी अशुद्ध वस्तु या विचार पूजा स्थल पर न आएं।

2. मांस और शराब

इस दिन मांस, शराब या किसी भी प्रकार के नशे का सेवन न करें। यह पूजा की पवित्रता के खिलाफ है।

3. द्वेष और नफरत

दुर्गा अष्टमी के दिन द्वेष और नफरत से बचें। सभी प्राणियों के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव रखें। 

4. खराब या बेकार चीजें

माँ दुर्गा के समक्ष बेकार या खराब चीजें न रखें। केवल शुद्ध और सुगंधित चीजें ही अर्पित करें।

5. उच्च आवाज में बात करना

पूजा के समय ऊँची आवाज में बात करने से बचें। पूजा का माहौल शांत और पवित्र रखें।

6. असत्य बोलना

पूजा के दिन असत्य बोलने से बचें। सत्य बोलना और सच्चाई के मार्ग पर चलना आवश्यक है।

दुर्गा अष्टमी पूजा की विशेष विधि

दुर्गा अष्टमी की पूजा में निम्नलिखित विधियों का पालन करना चाहिए:

  1. गृह देवता का पूजन:

   – पहले अपने गृह देवता का पूजन करें, फिर देवी दुर्गा का पूजन करें।

2. स्नान के बाद व्रत का संकल्प: 

   – स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और उपवास रखने का मन बनाएं।

3. हवन का आयोजन:

   – यदि संभव हो, तो हवन का आयोजन करें। इससे वातावरण शुद्ध होता है और देवी की कृपा प्राप्त होती है।

4. संध्या में पूजा:

   – संध्या के समय पूजा का आयोजन करें। संध्या समय देवी की पूजा विशेष फलदायी होती है।

5. शुभ मुहूर्त:

   – पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें। इस दिन का अभिजीत मुहूर्त विशेष महत्व रखता है।

दुर्गा अष्टमी से जुड़ी पौराणिक कथाएँ

दुर्गा अष्टमी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं। इनमें से एक प्रसिद्ध कथा है:

महिषासुर का वध:

एक समय एक शक्तिशाली असुर महिषासुर ने ब्रह्मा, विष्णु और शिव से वरदान प्राप्त किया था कि कोई भी पुरुष उसे नहीं मार सकता। इससे उसने देवताओं और मानवों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। देवताओं ने देवी दुर्गा की आराधना की और उन्हें महिषासुर का वध करने के लिए उत्पन्न किया। देवी ने अपनी शक्तियों के साथ महिषासुर से युद्ध किया और उसे पराजित कर दिया। इस विजय के प्रतीक के रूप में दुर्गा अष्टमी मनाई जाती है।

दुर्गा अष्टमी का आध्यात्मिक महत्त्व

दुर्गा अष्टमी केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिकता का भी प्रतीक है। इस दिन भक्त अपनी आत्मा को शुद्ध करने और आत्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए विभिन्न साधनाएँ करते हैं। यह दिन भक्ति, प्रेम, और एकता का संदेश देता है। 

निष्कर्ष

दुर्गा अष्टमी का पर्व भक्तों के लिए शक्ति, साहस और सकारात्मकता का संचार करता है। इस दिन देवी दुर्गा की पूजा करने से भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों और भय से मुक्ति मिलती है। पूजा विधियों का पालन करके और नकारात्मकता से दूर रहकर, आप माता के आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। इस पावन अवसर पर, सभी भक्तों को माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त हो, यही शुभकामना।

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