Categories

Recent Post

Categories

Download The App Now!

Google Play App Store

निर्जला एकादशी व्रत कथा, विधि, और महत्व के बारे में जानकारी निम्नलिखित है:

निर्जला एकादशी का महत्व  : –

 निर्जला एकादशी को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी कहा जाता है. निर्जला का अर्थ है “जल के बिना”।

– इस व्रत में भोजन करना और पानी पीना वर्जित है. 

– धर्मग्रंथों के अनुसार, इस एकादशी पर व्रत करने से वर्ष भर की एकादशियों का पुण्य मिलता है. 

निर्जला एकादशी का महत्व हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु की साधना का दिन है। इस एकादशी से सभी पापों में मुक्ति मिलती है। भक्तों को भगवान विष्णु द्वारा आशीर्वाद दिया जाता है और सभी सुख, समृद्धि और आनंदित जीवन प्रदान किया जाता है। इसके अलावा, निर्जला एकादशी व्रत का पालन करने से मृत्यु के बाद व्यक्ति को मोक्ष (मोक्ष) प्राप्त होता है। व्रत का पालन करने वाले को मृत्यु के बाद विष्णु के दूत वैकुंठ तक ले जाया जाता है।

एकादशी निर्जला व्रत कथा : –

निर्जला एकादशी के प्रसंग में एक रोचक कथा है जो भीमसेन और वेदव्यास के बीच संवाद पर आधारित है। यह कथा इस प्रकार है:

एक बार भीमसेन ने वेदव्यास से कहा कि उनके भाई और माता एकादशी के दिन उपवास करते हैं और उनसे भी यही अपेक्षा रखते हैं। लेकिन भीमसेन ने यह भी कहा कि वे भूख नहीं सह सकते और उन्हें एकादशी के व्रत का फल बिना व्रत किए ही चाहिए। इस पर वेदव्यास ने उन्हें निर्जला एकादशी के व्रत का सुझाव दिया। व्यास जी ने कहा कि यदि वे ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला व्रत रखें, तो उन्हें वर्ष भर की सभी एकादशियों का फल मिलेगा। भीमसेन ने व्यास जी के आज्ञानुसार इस व्रत को धारण किया और इसके परिणामस्वरूप वे संज्ञाहीन हो गए। तब पांडवों ने गंगाजल और तुलसी चरणामृत प्रसाद देकर उनकी मूर्छा दूर की।

इस कथा के माध्यम से यह सिखाया गया है कि निर्जला एकादशी का व्रत अत्यंत कठिन है, लेकिन इसके पालन से प्राप्त होने वाला पुण्य भी उतना ही महान है। 

इस व्रत का पालन करने से वर्ष भर की एकादशियों का पुण्य मिलता है और अन्त में मोक्ष कहा गया है। आपके लिए भी निर्जला एकादशी का व्रत आशीर्वादपूर्ण हो।

इस वर्ष, ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी का प्रारंभ पहले दिन पूर्ण षष्टि-घट्यात्मक (सम्पूर्ण दिन-६० घड़ी) से होता है और यह अवधि अगले दिन भी जारी रहती है। इस दौरान द्वादशी तिथि का लोप नहीं होता है। ऐसी स्थिति में, नारद मुनि के उपदेश के अनुसार, स्मार्त और वैष्णव समुदाय के लोगों को दूसरे दिन द्वादशी से युक्त एकादशी के दिन ही निर्जला एकादशी का व्रत रखना चाहिए।

“सम्पूर्णकादशी यत्र प्रभाते पुनरेव सा। 

सर्वैरेवोत्तरा कार्या परतो द्वादशी यदि ।।”

यह विवरण निर्जला एकादशी के व्रत के सही समय को निर्धारित करने में मदद करता है, जिससे व्रती उचित विधि से व्रत का पालन कर सकें और इसके पूर्ण फल को प्राप्त कर सकें।

 निर्जला एकादशी की तिथि वर्ष 2024 में 18 जून 2024 को है। यह एकादशी गंगा दशहरा के एक दिन बाद आती है, लेकिन कभी-कभी गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी एक ही दिन पड़ सकते हैं। 

इस व्रत का पालन करने से आपको आशीर्वादपूर्ण और सुख़मय जीवन मिले। निर्जला एकादशी के व्रत का पालन करें और इस विशेष दिन को ध्यान और भक्ति से मनाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Comments

No comments to show.

Recent Post

Categories

Download The App Now!

Google Play App Store
X