मेष राशि (Aries) (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

 

जनवरी– इस राशि पर शनि की नीच दृष्टि से शत्रु भय, किसी दुष्ट व्यक्ति द्वारा हानि सम्भव है। ता. 20 जन तक मंगल वक्री अवस्था में नीचराशिगत रहने से व्यर्थ की भागदौड़, मानसिक परेशानियाँ, कोर्ट केस तथा अचानक रोग उपस्थित होने के योग रहेंगे।

 

फरवरी– शनि की नीच दृष्टि तथा राशिस्वामी मंगल वक्री होने से मानसिक तनाव व घरेलू उलझनें बढ़ेगी। अत्यधिक संघर्ष परिश्रम के बाद धन लाभ अल्प व खर्च अधिक रहे। व्यर्थ की भागदौड़, गुप्त चिन्ता एवं चोटादि का भय रहेगा। गुप्त शत्रुओं से सतर्क रहें। ता. 26 को श्रीमहाशिवरात्रि का व्रत करना शुभ होगा।

 

मार्च- मंगल तृतीयस्थ होने से विशेष परिश्रम एवं पारिवारिक सहयोग से कुछ समस्याओं का निदान होगा। शनि की दृष्टि रहने से व्यर्थ का वाद-विवाद, मान‌सिक तनाव, सरकारी क्षेत्र से कार्य विलम्ब, स्वास्थ्य कष्ट बना होगा। ता. 29मार्च से शनि साढ़ेसाती का प्रभाव शुरु हो जाएगा।

 

अप्रैल– ता. 2 से मंगल नीच राशिगत तथा शनि साढ़ेसाती के प्रभाव से व्यवसाय नौकरी के क्षेत्र में संघर्ष अधिक रहेगा। भूमि-जायदाद सम्बन्धी समस्याएं परेशान करेंगी। वृथा-भागदौड़, पारिवारिक एवं आर्थिक हालात अनिश्चित बने रहेंगे। उपाय-वैशाख मास में ‘पाप-प्रशमन’ स्तोत्र का पाठ करना कल्याणकारी रहेगा।

 

मई– कठिन एवं विपरीत परिस्थितियों में भी निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेंगे। सुख-सुविधाओं पर खर्च की अधिकता से परेशानी, मन अशान्त एवं असन्तुष्ट रहेगा। नए उद्योग की योजना, विदेश यात्रा आदि में विवाद हो। उपाय श्रीसूक्त का पाठ करना शुभ होगा।

 

जून– ता. 6 से मंगल पंचम भाव में संचकर करने तथा शनि-साडेसाती के प्रभाव से स्वास्थ्य परेशानी व चोटादि का भय रहेगा। गुहारे योग्य धन प्राप्ति व उन्नति के योग हैं। व्यर्च को दीहखूप अधिक रहेगी। ‘मंगल-शमि’ के मध्य षडाष्टक योग रहने से भी परिवार एवं मित्रों के साथ कुछ मतान्तर और खर्च बढ़ेंगे।

 

जुलाई–  मासारम्भ में राशिस्वामी मंगल पंचम भाव में होने से अनिश्चितता के बावजूद कार्य-व्यवसाय में कुछ नए मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा। कुछ असमंजस के कारण लाभमार्ग में व्यवधान और विलम्ब होगा। ता. 28 से इस राशि पर मंगल की स्वगृही दृष्टि होने से कुछ बिगड़े कार्यों में सुधार होगा। परन्तु ‘मंगल-शनि’ के समसप्तक दृष्टि सम्बन्ध से खर्च अधिक रहेंगे।

 

अगस्त–  क्रोध एवं उसेजना से कोई हुआ कार्य बिगड़ने के योग हैं। आर्थिक उलइने पैदा होगी। संयमशील व्यवहारक स्वास्थ्य सम्बन्धी एवं वृथा वाद-विवाद में परेशानी होगी।

 

सितम्बर–   विभिन्न आर्थिक योजनाओं को क्रियान्वित करने के संकेत हैं, सन्तु कुछ भ्रामक धारणाओं केकारण विष्न एवं स्वगृही दृष्टि रहने से कुछ रुके हुए कार्यों में प्रगति होगी। किन्तु स्वास्थ्य परेशानी और वाहनादि के क्रय-विक्रय में धन हानि के योग हैं।

 

अक्तूबरसंघर्षपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद धन लाभ सामान्य सहे, भागदौड परिक्रम अधिक रहेगा। वर्तमान परिस्थितियों में अचानक परिवर्तन आ सकता है। भूमि वाहनादि कर क्रय-विक्रय होगा परन्तु अकारण क्रोध, उत्तेजना एवं व्यर्थ की भागदौड़ लगी रहेगी।

 

नवम्बर  मंगल अष्टमस्थ रहने से स्वास्थ्य कष्ट, परंतु उलझनें तथा बनते कामों में अड़चनें रहेंगी। धन का अपव्यय, लाभ में कमी एवं गुप्त विनाएं रहेंगी। यद्यपि मंगल पर गुरु की दृष्टि रहने से मांगलिक कार्यों पर खर्च, धर्म एवं विद्या के क्षेत्र में सफलता मिलेगी।उपाय : कार्तिक माहात्म्य का ता. 15 तक नित्य पाठ करें।

 

दिसम्बर ता. 7 से मंगल भाग्यस्थान में तथा गुरु को पुनः दृष्टि के कारण बिदे कार्यों में सुधार तथा स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। धर्म-कर्म में रुझान तथा शुभ कार्यों परखचे होगा। बढ़ते पुरुषार्थ से आत्मबल विकसित होगा। मंगल की व्यय भाव पर दृष्टि के कारण अचानक खर्च भी होंगे।

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