हरियाली तीज, जिसे सावन तीज के नाम से भी जाना जाता है, भारत के उत्तरी राज्यों में अत्यधिक महत्व और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व महिलाओं के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है और सावन मास की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य नारी शक्ति का सम्मान, पर्यावरण संरक्षण, और भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का उत्सव है।
इस लेख में हम हरियाली तीज के महत्व, इसे मनाने की विधि, इससे जुड़े विभिन्न अनुष्ठान और परंपराओं, और लोकगीतों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज का महत्व कई स्तरों पर है। यह पर्व न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी इसका विशेष स्थान है।
धार्मिक महत्व
हरियाली तीज को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है। यह दिन उनके मिलन की खुशी में मनाया जाता है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हरियाली तीज के दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनती हैं और उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करती हैं। इस दिन की पूजा और अनुष्ठान से महिलाओं को अपने वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। यह पर्व महिलाओं के जीवन में भगवान शिव और माता पार्वती के आशीर्वाद का महत्व दर्शाता है।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
हरियाली तीज नारी शक्ति का पर्व है। इस दिन महिलाएं एकत्र होकर नाचती-गाती हैं, झूला झूलती हैं और अपनी खुशी का इजहार करती हैं। यह पर्व महिलाओं को एक साथ लाने और उन्हें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का अवसर प्रदान करता है।
सामाजिक दृष्टिकोण से हरियाली तीज महिलाओं के बीच सामूहिकता और एकजुटता का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं अपनी समस्याओं, खुशियों और दुखों को साझा करती हैं और एक-दूसरे को समर्थन देती हैं। यह पर्व महिलाओं के बीच मित्रता और सामूहिकता को बढ़ावा देता है।
सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, हरियाली तीज भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं अपने पारंपरिक वस्त्र पहनती हैं, सोलह श्रृंगार करती हैं और पारंपरिक गीत गाती हैं। यह पर्व भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि को दर्शाता है।
हरियाली तीज मनाने की विधि
हरियाली तीज को मनाने की विधि बहुत ही सरल और मनोरंजक होती है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, सोलह श्रृंगार करती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। आइए, इसे मनाने की विधि को विस्तार से समझते हैं।
व्रत और पूजा हरियाली तीज के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। वे दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और संध्या को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। पूजा के लिए एक साफ स्थान
पर शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र रखकर उनकी विधिपूर्वक पूजा की जाती है। पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प, अक्षत, चंदन, रोली, सिंदूर आदि का उपयोग किया जाता है।
पूजा सामग्री
हरियाली तीज की पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्री निम्नलिखित है:
- भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र
- धूप और दीप
- नैवेद्य (फल, मिठाई)
- पुष्प (विशेषकर बेलपत्र)
- अक्षत (चावल)
- चंदन और रोली
- सिंदूर
- जल और गंगाजल
- पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शकर)
- मेहंदी और श्रृंगार की वस्तुएं
पूजा विधि
- प्रातः स्नान: हरियाली तीज के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा करने से पहले मन को शांत रखें।
- पूजा स्थल तैयार करें: पूजा के लिए एक चौकी या आसन तैयार करें और उस पर गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।
- संकल्प: पूजा आरंभ करने से पहले संकल्प लें। दोनों हाथों को जोड़कर “ॐ” का उच्चारण करें और फिर श्रद्धापूर्वक संकल्प करें कि मैं हरियाली तीज का व्रत एवं पूजा निष्ठापूर्वक कर रहा/रही हूं। भगवान शिव और माता पार्वती मुझे आशीर्वाद प्रदान करें।
- आसन ग्रहण करें: पूजा के स्थान पर आसन पर बैठ जाएं।
- पंचामृत तैयार करें: दूध, दही, शहद, घी और शकर को मिलाकर पंचामृत तैयार करें।
- शिवलिंग का अभिषेक: यदि आपके घर में शिवलिंग है तो सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक करें। गंगाजल या जल से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद पंचामृत, दूध, दही, बेलपत्र और पुष्प चढ़ाएं।
- शिवलिंग का श्रृंगार: शिवलिंग पर चंदन का पाउडर, सिंदूर और अक्षत अर्पित करें। रुद्राक्ष (यदि उपलब्ध हो) भी चढ़ा सकते हैं।
- धूप और दीप: धूप जलाएं और आरती करें। फिर दीपक जलाकर भगवान शिव को दिखाएं।
- मंत्र जप: श्रद्धापूर्वक “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। आप “ॐ शंकराय” या “महा मृत्युंजय मंत्र” का भी जाप कर सकते हैं।
- शिव चालीसा का पाठ: यदि समय हो तो हरियाली तीज के दिन शिव चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं।
- श्रवण कथा: हरियाली तीज की कथा सुनना भी शुभ माना जाता है। आप किसी बुजुर्ग से या धर्मग्रंथों से कथा सुन सकते हैं।
- आरती और भोग: पूजा के अंत में आरती करें और भगवान शिव को भोग लगाएं। आप फल या मिठाई का भोग लगा सकते हैं।
- समापन: पूजा का समापन करते समय दोनों हाथों को जोड़कर भगवान शिव और माता पार्वती को नमस्कार करें।
- झूला झूलना
- हरियाली तीज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है झूला झूलना। इस दिन महिलाएं पेड़ों पर झूले बांधकर झूलती हैं और तीज के गीत गाती हैं। यह एक बहुत ही मनोरंजक और आनंदमय गतिविधि होती है, जो महिलाओं को एक साथ लाने और उन्हें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का काम करती है।
- सोलह श्रृंगार
- हरियाली तीज के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। सोलह श्रृंगार का अर्थ है उन सोलह वस्तुओं का उपयोग करना जो एक महिला को संपूर्ण रूप से श्रृंगारित करती हैं। इसमें बिंदी, सिंदूर, काजल, मेहंदी, चूड़ियाँ, बिछुए, पायल, नथ, मंगलसूत्र, कंघी, अंगूठी, कमरबंद, गजरा, महावर, परफ्यूम और इत्र शामिल होते हैं।
- तीज के गीत और नृत्य
- हरियाली तीज के दिन महिलाएं तीज के गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। यह एक बहुत ही आनंदमय और उत्साहपूर्ण गतिविधि होती है, जो इस पर्व को और भी खास बनाती है। तीज के गीतों में भगवान शिव और माता पार्वती की महिमा का वर्णन होता है और नारी शक्ति का गुणगान किया जाता है।
- मेहंदी रचाना
- हरियाली तीज का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है मेहंदी रचाना। इस दिन महिलाएं अपने हाथों और पैरों में मेहंदी रचाती हैं। मेहंदी को शुभता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। यह महिलाओं की सुंदरता को और भी निखारता है और उन्हें विशेष महसूस कराता है।
- हरियाली तीज की कथाएँ
- हरियाली तीज से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जो इस पर्व के महत्व और इसके पालन की परंपराओं को और भी विशेष बनाती हैं।